इथेनॉल क्या है? उत्पादन, उपयोग, फायदे और भारत में महत्व (Ethanol Full Guide)

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इथेनॉल क्या है? (what is Ethanol?)

इथेनॉल क्या है? (what is Ethanol?)

इथेनॉल (Ethanol) एक पारदर्शी, रंगहीन और वाष्पशील अल्कोहल है। इसका रासायनिक सूत्र C₂H₅OH (CH₃–CH₂–OH) है। यह मुख्य रूप से शर्करा युक्त फसलों से किण्वन (Fermentation) प्रक्रिया द्वारा या पेट्रोकेमिकल रूट से तैयार किया जाता है।


इथेनॉल के भौतिक व रासायनिक गुण

  • रासायनिक सूत्र: C₂H₆O या C₂H₅OH
  • अणुभार: 46.07 g/mol
  • घनत्व: 0.789 g/cm³ (20°C पर)
  • उबाल बिंदु: 78.37°C
  • पिघलन बिंदु: –114.1°C
  • घुलनशीलता: पानी में पूर्णतः घुलनशील
  • ज्वलनशीलता: अत्यधिक ज्वलनशील

इथेनॉल (Ethanol) का उत्पादन कैसे होता है?

जैविक उत्पादन (Bioethanol Production) मुख्य रूप से फसलों से प्राप्त शर्करा या स्टार्च को इथेनॉल में बदलने की प्रक्रिया है। यह एक बायोफ्यूल उत्पादन तकनीक है जिसमें जैविक किण्वन का प्रयोग होता है। यहाँ इसका कार्य-प्रवाह (working process) विस्तार से बताया गया है

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1. जैविक इथेनॉल उत्पादन की प्रक्रिया (Bioethanol)

1. कच्चा माल (Raw Material Selection)

  • शर्करा युक्त फसलें: गन्ना, चुकंदर
  • स्टार्च युक्त फसलें: मक्का, ज्वार, गेंहूँ, आलू

2. तैयारी (Pretreatment & Crushing)

  • फसल को क्रशिंग या मिलिंग करके रस या स्टार्च निकाला जाता है।
  • स्टार्चयुक्त फसलों को एंजाइम से ट्रीट किया जाता है ताकि वे शर्करा में परिवर्तित हों (Saccharification)।

3. किण्वन (Fermentation)

  • निकाले गए शर्करा युक्त रस में यीस्ट (Saccharomyces cerevisiae) डाला जाता है।
  • यीस्ट शर्करा को इथेनॉल (C₂H₅OH) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) में बदल देता है।
  • यह प्रक्रिया सामान्यतः 30–35°C तापमान पर 2–3 दिनों तक चलती है।

4. आसवन (Distillation)

  • किण्वित मिश्रण (fermented mash) को डिस्टिलेशन प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
  • इसमें इथेनॉल को पानी और अन्य अवशेषों से अलग किया जाता है।
  • प्राप्त इथेनॉल सामान्यतः 95–96% शुद्ध होता है (Hydrated Ethanol)।

5. डीहाइड्रेशन (Dehydration)

  • यदि ऐन्हाइड्रस इथेनॉल (99.5% शुद्ध) चाहिए, तो इसे डीहाइड्रेशन प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
  • इसके लिए molecular sieves या azeotropic distillation का उपयोग होता है।

6. उप-उत्पाद (By-products)

  • बैगास (Bagasse) – बिजली उत्पादन के लिए।
  • DDGS (Distillers Dried Grains with Solubles) – पशु आहार के रूप में।
  • CO₂ – पेय पदार्थ उद्योग में।

संक्षेप में वर्किंग फ्लो:

फसल → क्रशिंग → शर्करा में परिवर्तन → किण्वन → आसवन → शुद्धिकरण → इथेनॉल तैयार

2. रासायनिक संश्लेषण

रासायनिक संश्लेषण (Chemical Synthesis) द्वारा इथेनॉल उत्पादन का अर्थ है, पेट्रोकेमिकल प्रक्रिया से इथेनॉल बनाना, जिसमें बायोलॉजिकल फसलों का उपयोग नहीं होता। यह मुख्य रूप से एथिलीन (Ethylene – C₂H₄) से तैयार किया जाता है।

chemical making process of Ethanol?)

1. कच्चा माल (Raw Material)

  • एथिलीन (C₂H₄) – जो क्रूड ऑयल या नेचुरल गैस से प्राप्त होता है।

2. हाइड्रेशन प्रक्रिया (Hydration of Ethylene)

यह सबसे आम तरीका है, जिसमें एथिलीन को पानी के साथ रिएक्ट कराया जाता है:

  • प्रतिक्रिया: C2H4+H2O→C2H5OHC₂H₄ + H₂O → C₂H₅OHC2​H4​+H2​O→C2​H5​OH
  • कैटेलिस्ट: फॉस्फोरिक एसिड (H₃PO₄) या सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄)।
  • तापमान: लगभग 250°C।
  • दबाव: 60–70 atm।

3. डिस्टिलेशन और शुद्धिकरण

  • प्रतिक्रिया से बना मिश्रण डिस्टिलेशन से शुद्ध किया जाता है।
  • अंत में 95–99.5% शुद्ध इथेनॉल प्राप्त होता है।

4. फायदे

  • तेजी से बड़े पैमाने पर उत्पादन।
  • कृषि भूमि और फसलों पर निर्भरता नहीं।

5. नुकसान

  • पेट्रोलियम पर निर्भरता।
  • यह ग्रीन और रिन्यूएबल नहीं है, क्योंकि कच्चा माल जीवाश्म ईंधन से आता है।

बायोएथेनॉल बनाम रासायनिक इथेनॉल

  • बायोएथेनॉल: नवीकरणीय स्रोत (गन्ना, मक्का आदि)।
  • रासायनिक इथेनॉल: पेट्रोकेमिकल स्रोत (एथिलीन)।

इथेनॉल के प्रकार

  • हाइड्रेटेड इथेनॉल (Hydrated Ethanol): 95–96% शुद्धता वाला।
  • ऐन्हाइड्रस इथेनॉल (Anhydrous Ethanol): 99.5% शुद्ध, पानी रहित।
  • डिनैचर्ड इथेनॉल (Denatured Ethanol): इसमें रसायन मिलाकर इसे पीने योग्य नहीं बनाया जाता।

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इथेनॉल के प्रमुख उपयोग

1. ईंधन (Fuel Ethanol)

  • पेट्रोल में 10%, 20% या 85% तक मिलाकर (E10, E20, E85)।
  • लाभ:
    • प्रदूषण में कमी
    • विदेशी तेल आयात पर निर्भरता कम
    • किसानों की आय में बढ़ोतरी

2. मद्यपान पेयों में (Alcoholic Beverages)

  • बीयर, रम, व्हिस्की, वाइन आदि।

3. चिकित्सा व स्वास्थ्य

  • सैनिटाइज़र, कीटाणुनाशक और दवाइयाँ।

4. औद्योगिक उपयोग

  • पेंट, परफ्यूम, सौंदर्य प्रसाधन, रबर, इंक।

5. वैज्ञानिक प्रयोगशाला

  • सॉल्वेंट और प्रिज़र्वेशन।

भारत में इथेनॉल का महत्व

  • भारत सरकार ने E20 एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम लागू किया है, जिसका लक्ष्य 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण।
  • किसानों को लाभ: अतिरिक्त आय स्रोत।
  • ऊर्जा सुरक्षा: तेल आयात में कमी।
  • पर्यावरण संरक्षण: कार्बन उत्सर्जन कम।

इथेनॉल बिजनेस अवसर

  • गन्ना व मक्का आधारित इथेनॉल डिस्टिलरी प्लांट।
  • पेट्रोलियम कंपनियों को सप्लाई।
  • मिनी प्लांट और ग्रामीण स्टार्टअप्स।

इथेनॉल के फायदे और नुकसान

फायदे:

1. प्रदूषण कम करता है

इथेनॉल एक स्वच्छ जलने वाला ईंधन है। जब इसे पेट्रोल के साथ मिलाकर (E10, E20 आदि) प्रयोग किया जाता है, तो यह कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) के उत्सर्जन को कम करता है। इससे वायु प्रदूषण घटता है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


2. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत

इथेनॉल मुख्य रूप से जैविक स्रोतों (गन्ना, मक्का, चुकंदर, ज्वार आदि) से बनाया जाता है, इसलिए यह नवीकरणीय (Renewable) और सतत (Sustainable) ऊर्जा स्रोत है। इसे हर साल नई फसलों से दोबारा तैयार किया जा सकता है, जबकि पेट्रोल और डीजल सीमित जीवाश्म ईंधन हैं।


3. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

इथेनॉल उत्पादन के लिए किसानों की फसलों जैसे गन्ना और मक्का की मांग बढ़ती है। इससे:

  • किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलता है।
  • ग्रामीण इलाकों में डिस्टिलरी और प्रोसेसिंग यूनिट्स खुलती हैं।
  • रोज़गार के नए अवसर बनते हैं।

इस प्रकार इथेनॉल ग्रामीण विकास में सीधा योगदान देता है।

Ethanol Full Guide

नुकसान:

1. अधिक भूमि और पानी की आवश्यकता

इथेनॉल उत्पादन के लिए मुख्य कच्चा माल गन्ना, मक्का, चुकंदर, ज्वार जैसी फसलें होती हैं। इनकी खेती के लिए:

  • बड़ी मात्रा में कृषि भूमि की जरूरत पड़ती है।
  • सिंचाई के लिए काफी पानी खर्च होता है।
    अगर इथेनॉल की मांग तेजी से बढ़ती है, तो यह जल संसाधनों पर दबाव डाल सकता है।

2. खाद्य फसलों की कीमतें प्रभावित

जब इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना और मक्का जैसी फसलों का अधिक उपयोग होने लगता है, तो:

  • खाद्य उद्योग के लिए उपलब्ध मात्रा घट जाती है।
  • मांग और आपूर्ति में असंतुलन आने से अनाज और शक्कर जैसी वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।

3. सभी इंजनों के लिए उपयुक्त नहीं

  • पारंपरिक पेट्रोल इंजन अधिक इथेनॉल मिश्रण (जैसे E85) को पूरी तरह से सहन नहीं कर पाते।
  • उच्च इथेनॉल मिश्रण वाले ईंधन का उपयोग करने पर माइलेज कम हो सकता है और इंजन के कुछ हिस्सों पर असर पड़ सकता है।
  • इसे सुरक्षित रूप से इस्तेमाल करने के लिए विशेष फ्लेक्स-फ्यूल इंजन (Flex-Fuel Engine) की आवश्यकता होती है।

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FAQ – इथेनॉल से जुड़े सामान्य प्रश्न

Q1: इथेनॉल क्या है?

यह एक प्रकार का अल्कोहल है जिसका प्रयोग ईंधन, औषधि, पेय और उद्योग में किया जाता है।

Q2: भारत में इथेनॉल का मुख्य स्रोत क्या है?

गन्ना, मक्का, चुकंदर और ज्वार।

Q3: क्या इथेनॉल प्रदूषण कम करता है?

हाँ, यह पेट्रोल के मुकाबले कम कार्बन उत्सर्जन करता है।

Q4: क्या इथेनॉल से वाहन की माइलेज पर असर पड़ता है?

हाँ, उच्च मिश्रण (E20 से ऊपर) माइलेज थोड़ा कम कर सकता है।

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